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सत्य की राह / वेदिका श्रीवास्तव

बार -बार प्रश्नो के प्रियवर, तीर तुमहे सहने होंगे ,
तुम झूठ ना होकर भी बंधु,झूठे ही कहलाओगे
विष अपमानो के भी तुमको संग -संग पीने होंगे |
तीर तुमहे सहने …..
चलना होगा जाने कब ,कैसे ,कहाँ इलजामो के शोलो पर ,
चिंगारी संदेह की तुम तो अपनो से ही पाओगे ,
संग संसार के तुमको ,स्वयं से भी युद्ध करने होंगे |
तीर तुमहे ………
खिंचे जाओगे जब तुम ,अधर्मो के बाहुबल द्वारा ,
जीवन की गाडी जब ला दे ,झूठ के कटघरे में प्यारों ,
धैर्य के अस्त्र से तुमको हर ताने -बने सहने होंगे |
तीर तुमहे ……..
कोई नहीं करेगा उस पल गलती से भी वकालत तुम्हारी
सोया हुआ आत्मबल स्वयं तेरा जाग जाएगा
हर नाते -रिश्ते उस क्षण तुमको ,बारिकी से परखने होंगे |
तीर तुमहे …….
देते -देते साथ सही का तुम अकेले हो जाओगे ,
आशाओं का तब होगा सवेरा ,फिर देख उसे तुम पाओगे ,
प्रभू ही साथ तुम्हारे होंगे,विश्वास के नेत्र खोलने होंगे |
तीर तुमहे …….
सब कुछ उल्टा हो जाएगा ,हर वार हुए जो तुम पे बंधू ,
झुका हुआ शीश तुम्हारा गर्व से उठकर बोलेगा ,
उत्तर निडर होकर के तुमको हर प्रश्नो के देने होंगे |
तीर तुमहे …….
करम तुम्हारे अच्छे उस दिन ,ईश्वर जग को दिखाएंगे,
अधर व्यंगंकारों के तेरी सच्चाई से चुप हो जाएंगे ,
हाँ मगर ,शर्त है की ना ना डगर सत्य के छोड़ने होंगे |
तीर तुमहे ……..
बार -बार प्रश्नो के प्रियवर तीर तुमहे सहने होंगे |

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