Awadhi poetry on Gram pradhan chunav
सजन, अबकी हमहूँ लड़ब परधानी। (Awadhi poetry on Gram pradhan chunav) मिला नाहीं सुखु बीती आधी जिन्दगानी सजन, अबकी हमहूँ लड़ब परधानी। आजुइ अखबारन मइहाँ है समाचार यहु … Read More
सजन, अबकी हमहूँ लड़ब परधानी। (Awadhi poetry on Gram pradhan chunav) मिला नाहीं सुखु बीती आधी जिन्दगानी सजन, अबकी हमहूँ लड़ब परधानी। आजुइ अखबारन मइहाँ है समाचार यहु … Read More