Awadhi poetry on Gram pradhan chunav
सजन, अबकी हमहूँ लड़ब परधानी। (Awadhi poetry on Gram pradhan chunav) मिला नाहीं सुखु बीती आधी जिन्दगानी सजन, अबकी हमहूँ लड़ब परधानी। आजुइ अखबारन मइहाँ है समाचार यहु … Read More
सजन, अबकी हमहूँ लड़ब परधानी। (Awadhi poetry on Gram pradhan chunav) मिला नाहीं सुखु बीती आधी जिन्दगानी सजन, अबकी हमहूँ लड़ब परधानी। आजुइ अखबारन मइहाँ है समाचार यहु … Read More
Awadhi kavya वह तौ सब आजु सपन होइगा रिसियाउरि दाली का दुलहा अब कहूँ पनेथी बनत नहीं। दलभरिया पूरी बनत नहीं दलभरी कचउरी बनत नहीं। अब … Read More
poet indresh bhadoriya poems in awadhi बाकी हम काम बनाय ल्याब बसि बीस बराती लै आयो, बाकी हम काम बनाय ल्याब। है अबै कोरोना समय चलत, आदेस भवा सरकारी … Read More