मैं सहज ,शाश्वत युग ध्वनि हूं / श्रवण कुमार पान्डेय,पथिक

गुन्जन अक्षुष्ण जिसका सर्वथा,मैं सहज ,शाश्वत युग ध्वनि हूं,! प्रवाह,पावन पवन का ,मुझमें समाया,कृति समर्थ,रविदाह ने मुझको तपाया,मुझमें समाहित,नीरवत निर्मल तरलता,मुझको सुलभ है व्योमवत ,इक क्षत्रता, जिससे सरस जीव जीवन,सुहृद … Read More