sookshm avalokan/ दया शंकर का सूक्ष्म अवलोकन

क्या, लोक भाषा में सामान्य बोल–चाल तथा साहित्य की  भाषा में अन्तर नहीं होना चाहिये? sookshm avalokan: विगत में कुछ लम्बी अवधि से मैं अवलोकन करता आ रहा हूँ कि क्षेत्रीय बोली के नाम पर अधिकतर व्यक्ति,बोलते कुछ हैं और लिखते कुछ हैं  … Read More