कोई कली बगिया में जब खिलने को होती है / वेदिका श्रीवास्तव
कोई कली बगिया में जब खिलने को होती है कोई कली बगिया में जब खिलने,को होती है,बगिया को महकाएगी ये आस लिए होती है ,नाजुक सी प्यारी सी उपवन में,कितनी,सुन्दर … Read More
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क्या, लोक भाषा में सामान्य बोल–चाल तथा साहित्य की भाषा में अन्तर नहीं होना चाहिये? sookshm avalokan: विगत में कुछ लम्बी अवधि से मैं अवलोकन करता आ रहा हूँ कि क्षेत्रीय बोली के नाम पर अधिकतर व्यक्ति,बोलते कुछ हैं और लिखते कुछ हैं … Read More
(bhaarateey saahity lekhan mein striyon kee bhoomika) महादेवी वर्मा भारतीय साहित्य लेखन में स्त्रियों की भूमिका (bhaarateey saahity lekhan mein striyon) भारत प्राचीनकाल से ही तार्किक, आध्यात्मिक, दार्शनिक तथा … Read More
भारतीय भाषाएँ : दशा, दिशा और भविष्य (indian languages) दयाशंकर indian languages :सारी भारतीय भाषाएं अपने जीवन के सबसे गंभीर संकट के मुहाने पर खड़ी हैं। यह संकट अस्तित्व … Read More
hindi diwas par jankari : सरकार अपने स्तर पर, हिंदी कार्यक्रम, प्रतियोगिताएँ,परिचर्चाएँ, संगोष्ठियाँ, सम्मेलन, बैठकें और नृत्य, गीत-संगीत के कार्यक्रम आदि हिंदी के लिए कराती हैं, विश्व में उतने कहीं … Read More