विशिष्ट रचना / सम्पूर्णानंद मिश्र
विशिष्ट रचना / सम्पूर्णानंद मिश्र
विशिष्ट रचना
होती हैं
स्त्रियां
विधाता की
निष्कपट होती हैं
निस्वार्थ होती हैं
समर्पित होती हैं
शब्दों के कटु वाणी के बाण
का संधान नहीं करती
क्रोध की ज्वाला
प्रज्वलित होने पर
किसी पर तेज़ाब नहीं फेंकती
स्वप्न में भी
स्वार्थ की रोटियां नहीं सेंकती
क्रोध की आग की लपट को
आंसुओं से शांत करती हैं
इनकी सुंदरता
जितनी बाहर
उतनी ही भीतर
बिगड़े हुए संबंधों को भी
प्रेम की सुई से
जोड़ने का काम करती हैं
अपने माता-पिता का नाम करती हैं
हिस्से बटखरे की नहीं बात करती हैं
इनकी सुंदरता
जितनी बाहर
उतनी ही भीतर
विशिष्ट रचना होती हैं
ये स्त्रियां
विधाता की
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874