सलीब / सम्पूर्णानंद मिश्र

सलीब / सम्पूर्णानंद मिश्र

सलीब

जीज़स
तुम भोग-विलास के लिए
नहीं जन्मे थे
बल्कि किसी
और प्रयोजन के लिए
तुम्हें
डराया गया
विभिन्न
यातनाएं दी गईं
तुम्हारे ऊपर
पत्थर फेंके गए
बेथलहम में
तुम्हें दुष्चरित्र
घोषित किया गया
प्रलोभ के चक्रव्यूह में
फंसाया गया
दुर्योधन और दु:शासन
तुम्हें खरीदना चाहते थे
लेकिन तुम बिके नहीं
वे हार गए
चूंकि
तुम आत्म- विक्रेता नहीं थे
तुम्हारे नाज़ायज संबंध
गैर औरतों से थे
ख़ूब प्रचार- प्रसार
इसका किया गया
बावजूद
तुम टूटे नहीं
झुके नहीं
क्योंकि
तुम्हारी मिट्टी अलग थी
तुम तो आए थे
इस धरा पर
सिर्फ़ और सिर्फ़
प्रेम का संदेश देने के लिए
मानवता की स्थापना के लिए
इसलिए
हंसते-हंसते
तुम सलीब पर चढ़ गए

सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874

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