विवशता /सम्पूर्णानंद मिश्र
विवशता
संवाद
के लिए माध्यम
बहुत जरूरी होता है
लेकिन
जब माध्यम ही
पक्षपात के ऐनक से
घटनाओं को
देखने- सुनने और अभिव्यक्त
करने लगे
तो
नहीं कोई रोक सकता है
लाक्षागृह में
आग लगने से
इसलिए
झूठ और कपट के शोर में
यदि सत्य अपनी आंखों पर
विवशता और
लाचारी की पट्टी बांध ले
तो महाभारत का युद्ध होना तय है
द्वापर में
तीन तरह के अंधे थे
कुछ ऐसे थे
जिन्हें साफ़ साफ़ दिखाई देता था
कुछ ऐसे जो साफ़ साफ़ नहीं देखना चाहते थे
और कुछ इतने विवश थे
कि साफ़ साफ़ देखकर
गूंगे और बहरे हो गए थे
इन तीनों स्थितियों में से
यदि एक भी स्थिति
हमारे घरों के आस-पास
मंडरा रही हो
तो यह एक और
महाभारत के होने का स्पष्ट मौन संकेत है
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874