Awadhi kavya-वह तौ सब आजु सपन होइगा/ इन्द्रेश भदौरिया

Awadhi kavya  

वह तौ सब आजु सपन होइगा

 

 

Awadhi-kavya

 

रिसियाउरि दाली का दुलहा 

अब कहूँ पनेथी बनत नहीं।

दलभरिया पूरी बनत नहीं 

दलभरी कचउरी बनत नहीं।

अब कढ़ी फुलौरी बेसन की 

औ पना सना ना कोउ जानत।

जो बनै मेथउरी कुम्हड़उरी 

नहिं उनका कोऊ पहिचानत।

दाली का दुलहा लोनबरिया 

गुलगुलुवो आज दफन होइगा।

वह तौ सब आज सपन होइगा। 

 

भरता भउरा कूकुर कउरा 

अब गूर कै गोटी न देखात।

चना का ह्वारा मटर का ह्वारा 

आलू का ह्वारा न देखात।

गुर के गुलगुलुवो न देखात 

अब तौ सगपहितौ न देखात।

घुँइया के बण्डा न दैखात 

पत्तन का सँहिड़ा न देखात।

बेझरा कै रोटी सोनु भई 

गुरुभउरो क्यार हरन होइगा।

अब तौ सब आजु सपन होइगा। 

 

हर ज्वाठ सरावनि बैल कहाँ 

नहिं अब रहकला देखाय परै।

मड़नी भूसा खरिहान कहाँ 

लड़िहौ अब नहीं देखाय परैं।

खुरपा हँसिया कुदरी बैंती 

नहिं  खंता कतौं देखाय परैं।

पटुवा सनई जोंधरी मकरा 

बजरौ नहिं कतौं देखाय परैं।

अब पहिले वाले ठाठ कहाँ 

सबकुछ तौ बबुरी बन होइगा।

वह तौ सब आजु सपन होइगा। 

 

अब हँसुली टँड़िया कड़ाबन्द 

औ पाँय गोड़हरा न देखात।

अब मेहररुवन की पीठी पर 

नागिन जस चोटी न देखात।

अब नाक मा टोर्रा ना देखात 

कानन मा ऐरन ना देखात।

वह लहँगा चुनरी न देखात 

औ कुर्ती बण्डी ना देखात।

वी पावन वाले पउला का 

नामों निसान दफन होइगा।

वह तौ सब आज सपन होइगा। 

 

पेंहटा पेंढ़कुआ मकोइया सब 

पिछुवारे करुवा गायब है।

सावाँ क्वादौ औ पथरचटा 

औ मोथ सरपतौ गायब है।

झरबेरी औ क्वाकाबेली 

सब ताल तलइया गायब है।

पहिले वाला सब चाल चलन 

औ खानौ पान खतम होइगा।

वह तौ सब आजु सपन होइगा। 

Awadhi-kavya



    इन्द्रेश भदौरिया रायबरेली

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