गाओ गीत जगत हितकारी / बाबा कल्पनेश
गाओ गीत जगत हितकारी / बाबा कल्पनेश
आज का छंद-माता
परिचय-एकादक्षरावृत्ति
गाओ गीत जगत हितकारी।
पाओ मीत हृदय दुखहारी।।
मिथ्या है सुख-दुख कर नाता।
गाते वेद जगत यह गाता।।
तोड़ो बंध सकल जग केरा।
पाओगे तब सुखद सबेरा।।
सीताराम चरण रति राखो।
मीठा शीतल फल तब चाखो।।
गाना है तब हरिगुन गाओ।
आओ जी अब सब जन आओ।।
प्रातःकाल सकल खग गाते।
ध्यानी ध्यान सफल कर पाते।।
रागी-राग मगन बस होते।
चिंता-चिंतन नित-प्रति बोते।।
माया खोकर प्रभु पद पाना।
नेकी बोकर शुभ नित जाना।।
छंदों में गण नगण अकेला।
देता है नित बहुत झमेला।।
मुक्ताहार जनक पर जानो।
साथी एकल हित पहचानो।।