बोलो कबीर / डॉ. सम्पूर्णानंद मिश्र

बोलो कबीर

आशंका अविश्वास
नकारात्मक सोच
की कुक्षि से
अहंकार और ईर्ष्या का उदय होता है
जिसका पथ जाता है
सीधे विनाश के गड्ढे में
माने बैठें हैं सत्य इसी को
कुछ तथाकथित
जो छल, पाखंड, ढोंग और फरेब की बुनियाद पर भव्य इमारत खड़ा करना चाहते हैं अपनी शख्सियत का
नहीं स्वीकार है
उस वितान के नीचे
किसी और की ऊंचाइयों का ध्वज लहराए
बदरंग कर देते हैं ऐसे लोग
उस ध्वज को
कभी- कभी ईर्ष्या के अनल में उसे जला देते हैं
बोलो कबीर बोलो
क्या तुम्हारा कोई संदेश है
इनके नाम
या इनके फरेब के वृक्ष को और बढ़ने देना चाहते हो
लेकिन तय है इतना कि
फरेब और छल की आग की लपट में अपना ही चेहरा झुलस जाता है

डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी 7458994874

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *