बुद्ध बनना आसान नहीं है / सम्पूर्णानंद मिश्र
बुद्ध बनना आसान नहीं है!
( बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर)
गालियों को गलाने
ईर्ष्या को जलाने
अहंकार का विष पीने
मान-अपमान में समभाव जीने
का जब अभ्यास हो जाय
तो व्यक्ति बुद्ध बनता है
यह शब्दों में शायद
आसान दिखता हो
लेकिन
यह उतना ही कठिन है
जितना कि एक पुरुष
का स्त्री होना!
बुद्ध बनने के लिए
विरक्त होना पड़ता है
माया से
छाया से
सरमाया से
और अपनी काया से
तब कोई सदियों में
एक बुद्ध बनता है
नहीं होता है
बुद्ध बनना इतना आसान !
देह के कोने से
उठ रही कामेच्छा को
अपने मन के नेत्र से
हजारों बार जलाना पड़ता है
तब कोई बुद्ध बनता है
बुद्ध
बनना आसान नहीं है !
बुद्ध बनने के
लिए
लांछन का छाछ
भी पीना पड़ता है
सामाजिक
व्यंग्य-बाण
से अनंत बार
घायल भी होना पड़ता है !
बुद्ध बनने के लिए
दूसरों के दोषों की स्याही को
अपने मन के श्वेत- वस्त्र पर
अनंत बार छिड़कवाना पड़ता है
तब कोई सदियों में
एक बुद्ध बनता है
बुद्ध बनना आसान नहीं है!
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874