चाँद | नरेंद्र सिंह बघेल | हिंदी कविता
पूनम की थी रात सुहानी ,
मेरी गली में आया चाँद ।
धीरे-धीरे चुपके-चुपके ,
मेरी गली मुसकाया चाँद ।
सुंन्दर झील के ठहरे जल पर ,
धीरे से लहराया चाँद ।
उतर के अपने नील गगन से ,
वो मेरे घर आया चाँद ।
वो नमकीन सलोना सा है ,
देखो मेरा प्यारा चाँद ।
काली घटा से छुपकर झांके ,
वो मेरा मतवाला चाँद ।
उसको कहते माहताब हैं ,
मेरा राजदुलारा चाँद ।
नीले अंबर हरी धरा का ,
अपना मेरा निनारा चाँद ।।
-नरेन्द्र