Hindi kavita Harishchandra Tripathi ‘Harish – सबको दे सद्बुद्धि मातु तू

Hindi kavita Harishchandra Tripathi ‘Harish

सबको दे सद्बुद्धि मातु तू,


सबको दे सद्बुद्धि मातु तू,
तू सबका ऑचल भर दे ।
द्वेष-घृणा-कुविचार मिटाकर,
जन-जन मन निर्मल कर दे ।

राष्ट्र-सुपथ पर कदम सभी के,
अनवरत बढ़ें बढ़ते जायें ।
नवल सृजन की लिये तूलिका,
नित शिखर चढ़ें चढ़ते जायें ।
समरसता की घटा सुहानी-
अन्तर-तन्त्र विमल कर दे ।
सबको दे सद्बुद्धि मातु तू,
तू सबका ऑचल भर दे ।1।

अक्षर-अक्षर स्नेह लुटाते,
निज वीणा की तान सुना दे।
मोहान्ध हुए भटके जन को ,
ज्ञान-चक्षु दे,पन्थ दिखा दे ।
अमर यशस्वी भरत-भूमि की,
कण-कण रज चन्दन कर दे।
सबको दे सद्बुद्धि मातु तू,
तू सबका ऑचल भर दे ।2।

मधुॠतु हो नित कंगन खनके,
भू नभ मोहे दुल्हन बनके ।
बढ़े परस्पर स्नेह स्वजन में –
अधर सुधा रस पावन मन के ।
बलिदानी वीर शहीदों के,
गीतों में मधु रस भर दे ।
सबको दे सद्बुद्धि मातु तू ,
तू सबका ऑचल भर दे।।3।


जय गुरुदेव की ।

स्वस्थ,सुरक्षित रह सकें,
ऐसे करें उपाय ।
सकारात्मक सोच हो,
ना होंगे निरुपाय।1।

मास्क लगा,दूरी बना,
सोच-समझ कर काम।
समय देख,संयम बरत,
भज मूरख प्रभु-नाम।2।

पेड़ कटे,षर्वत बॅटे ,
मोड़ दिया जलधार।
छेड़छाड़ तूने किया,
सुन मानव लाचार ।3।

सृष्टि दायिनी मातु से,
मत बन तू चालाक ।
स्नेह-सृजन देती सदा,
रखे भाव अति पाक ।4।

परम पिता मेरी सुनो,
तुम हो दया निधान।
मानव का कल्याण हो,
ऐसा रचो विधान ।5।


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हरिश्चन्द्र त्रिपाठी,’हरीश’

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