Hindi kavita Yah log/भारमल गर्ग सांचौर

यह लोग

(Hindi kavita Yah log)


ताकता हूं रंगीन सितारों को जमीन पर ।
फिर आसमान क्यों बताते हैं यह लोग ।।

मोहब्बत मुकमल नही होती गर्ग ।
फिर क्यों लब्ज़ चुराते हैं यह लोग ।।

गाली देकर रोने लग जाते हैं यह लोग ।
कितने मीठे होते हैं यह खारे लोग ।।

छाछ/दही से दूध बनाते हैं यह लोग ।
फिर घी का भाव क्यों पूछते हैं यह लोग ।।

बच्चन की यादों से छूट जाते है यह लोग ।
कितने अल्फाजों में बयां होते हैं यह लोग ।।

दरिया दिल का समुंदर से भी तेज चल रहा है ।
फिर क्यों अश्क से तसल्ली दे जाते हैं यह लोग ।।

बैठे हैं रुप,सौंदर्य,चरित्र से माने हुए है यह लोग ।
फिर क्यों तिनके का प्रमाण बताते हैं यह लोग ।।

हवस और जिस्म के अभिलाषी बनकर बैठे हैं यह लोग ।
फिर क्यों बातों में स्वयं को विद्वान बताते हैं यह लोग ।।


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भारमल गर्ग सांचौर
bhamugarg@gmail.com
+918890370911
पता:- E-3, पुलिस लाइन जालोर

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