vedika-srivastava-latest-poem

मेरी अंतिम यात्रा | वेदिका श्रीवास्तव

मेरी अंतिम यात्रा | वेदिका श्रीवास्तव

हे! नाथ मेरे क्या चाहूं मैं बस दर्शन अपना दे देना,
है आस मेरी जन्मों की ये चरणों में जगह तुम दे देना।।

जब जाऊं इस संसार से तो शत्रु भी पुष्पार्पित करें,
जिन हृदयों ने घात किया वो भी ना अश्रुहीन रहें।।

सब संघर्षों से मुक्त करो मुझे तुम अपनी स्वीकार करो,
हे! नाथ मेरे मैं हार गई मेरी अर्थी पर तुम पैर धरो।।

मैं जाऊं दुलहन सी सजकर हो मांग मेरी सिंदूरी प्रभू,
मेरा प्रेमी प्रियतम हो साथ मेरे मैं कुल की मर्यादा ही रहूं।।
मेरे अपनों को गर्व हो मुझ पर उनके हृदय में स्थान मिले,
इस देवि वसुंधरा की गोदी से मुझको बस तेरा धाम मिले।।

कंटक,शूल से शब्दों का जिस जिस ने किया प्रहार मुझ पर,
उनकी बगिया भी खिल जाए शुद्ध विचारों का उनको वरदान मिले।।

मेरी अंतिम विदाई पर ईश्वर हर जीव मुझे मिलने आए,
हो बारिश का मौसम ईश्वर और पूर्णिमा का चंदा आए।।

मेरी चिड़िया गिलहरी गाय श्वान अजा हो वहां उपस्थित हे ईश्वर!
मेरे मातपिता भ्राता प्रेमी और चरणों में तुम्हारे प्राण ये जाए।।

सब बंधु मेरे मेरी सखियों को प्यार मेरा याद आए,
जिस आंगन जन्मी हूं हे ईश्वर!वही आंगन मेरी अर्थी सजाए।।

कोई भेद ना हो उस समय प्रभू हर जाति पंथ का स्वागत हो,
मेरा प्रेमी प्रियतम परमात्मा मेरे अंग अंग को गर्व से सजाए।।

हाथों में चूड़ी बालों में गजरा माथे पर बिंदिया पैरों में पायल,
हे शिवशक्ति!मेरे मेरी लाल चुनरिया ननिहाल से मेरे आए।।

कंधा मुझको मिले प्रभू मेरे पिता ताऊ भाई प्रेमी प्रियतम परमात्मा का,
हां मां और जीवनसाथी के हाथों मुझे रंग मिले महावर का।।

मेरे घर की मंदिर को उस दिन दीपों से जगमग कर देना,
सब ग्रहों गंधर्वों से विनती मेरी सेज रजनीगंधा से भर देना।।
बस सत्य धरम हो पहचान मेरी ये कहकर मुझको फूल मिले,
न्याय हो मेरा कर्म प्रभू सब सोए हुए मेरे वीर जगें।।

कोई गीत भजन करवाना प्रभू मेरे जाने पर तेरे नाम का ही,
हे नाथ!मेरे सुनना विनती मैं तुझसे मांगू आज यही।।

वेदिका श्रीवास्तव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *