लक्ष्य बनाकर चलना सीखो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
लक्ष्य बनाकर चलना सीखो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
लक्ष्य बनाकर चलना सीखो,
बन कर फूल महकना सीखो।1।
धरा-गगन सब बनें सहायक,
ऋतु सा रूप संवरना सीखो।2।
मीठी सरस मधुर वाणी में,
कोयल सा तुम कहना सीखो।3।
लक्ष्य नहीं तो व्यर्थ जिन्दगी,
कुविचारों से लड़ना सीखो।4।
ठहराव नहीं रखना जीवन में,
झर-झर निर्झर बहना सीखो।5।
लक्ष्य हीन हर कदम भटकते,
लक्ष्य-साध कर बढ़ना सीखो।6।
द्वेष-दम्भ कटुता को भूलो,
साथ प्यार से रहना सीखो।7।
दो ‘हरीश’, सन्देश सभी को,
राष्ट्र-पन्थ पर चलना सीखो।8।
–हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’