यही पैगाम है मेरा | पैगाम | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
यही पैगाम है मेरा | पैगाम | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
यही पैगाम है मेरा
रहें सब लोग मिलजुल कर
बने सुन्दर सहज डेरा,
करें सब देश की सेवा,
यही पैगाम है मेरा।टेक।
न हो बन्धन कहीं कोई,
नहीं अवरोध कोई हो,
बहे गंगा विचारों की,
।कलुष नित नेह धोई हो।
बिखेरूॅ हर अधर मुस्कान,
यही बस काम है मेरा ।
करें सब देश की सेवा,
यही पैगाम है मेरा ।1।
उठो हॅस कर उठाओ तुम,
बोझ इक दूजे का मिलकर,
महक बिखरा दो दुनिया में,
चमन के फूल सा खिलकर।
ईश्वर की कला सब हैं,
सजाना काम है मेरा।
करें सब देश की सेवा,
यही पैगाम है मेरा ।2।
नफरत से भरी दुनिया,
तरसती प्यार को देखो,
बिछा कर राह में कण्टक,
बिलखती राह में देखो।
कुदरत के परिन्दों संग,
सुबह से शाम है मेरा।
करें सब देश की सेवा,
यही पैगाम है मेरा।3
–हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’,
रायबरेली (उप्र)229010
9415955693