मेरा मैं / आशा शैली
मेरा मैं / आशा शैली
कभी-कभी मन करता है
चलो कुछ बड़ी पापड़ बना लूँ
कुछ अचार डाल लूँ
खट्टा-मीठा
या कुछ कपड़े ही सी लूँ
बहुत हो गया
लिखना-पढ़ना
कविताओं-कहानियों को गढ़ना
थोड़ी देर के लिए ही सही
लौट चलूँ रसोई घर के धुएँ की सुगन्ध में
और सदियों की बिछुड़ी
ममतामयी गृहिणी को
एक बार
फिर से भरपूर जी लूँ
कुछ उधड़े कपड़े ही सी लूँ
आशा शैली
सम्पादक शैलसूत्र