मूक / सम्पूर्णानंद मिश्र
मूक / सम्पूर्णानंद मिश्र
मूक
मूक
होना आज बहुत
जरूरी है
निकल जाता है
जीवन की हर उलझन से
मूक व्यक्ति
जो जितना बोलता है
उतना ही लड़ता है
बाहर और भीतर दोनों
हमेशा
वह
अशांत रहता है
अहंकार को
घलुआ में ले लेता है
रोग के दरिया में
डूबने लगता है
निकल नहीं पाता है
और सबसे बड़ी बात तो यह है कि
अहंकारग्रस्त व्यक्ति
का हाथ और साथ
छोड़ देते हैं सब
इसलिए कम बोलो
उचित बोलो
समय पर बोलो
जितनी
आवश्यकता हो उतना बोलो
लेकिन जब भी बोलो
प्रिय बोलो
शास्त्र सम्मत बोलो
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874