नहीं है बोलने का समय-nahee bolane ka samay
nahee bolane ka samay
नहीं है बोलने का समय
नहीं है
बोलने का समय यह
बिल्कुल नहीं है
और न ही देखने का
क्योंकि जिन लोगों ने
नग्न चेहरा सच का देखा है
ज़िंदगी भर रत्तन आंसू रोया है
यह समय है सिर्फ़ सुनने का
और उतना ही
जितना महसूसते हो
कि काम चल जाय सुविस्ता से
बनकर देखो गूंगा
आसान हो जाएगी ज़िंदगी
कवि नागार्जुन ने
भी इसको शोधा है
कि गूंगे आदमी को ही
अधिकार है गुड़ खाने का
विश्वास करो कि जिस दिन
तेल पीना शुरू
कर देंगे तुम्हारे कान
दूर हो जायेंगी
सारी अड़चनें जीवन की तुम्हारे
क्योंकि चुकानी पड़ी है
कीमत हर युग में बोलने की
कबीर ने ख़ूब बोला
घोषित कर दिया गया पागल उन्हेें
मारने के लिए दौड़ा लिया
धर्म के आचार्यों ने
नशा था सामाजिक परिवर्तन का
उनके ऊपर
बड़ी शिद्दत से
महसूस किया
देश के एक बूढ़े ने
कि सुनना, देखना बोलना
आत्मघाती हो सकता है
किसी व्यक्ति के लिए
इसलिए
राजधानी की
दुल्हन को अपने गांव लाना चाहते हो तो
आज से ही देखना
बोलना बंद कर दो
और सिर्फ़ उतना ही
सुनो जितना महसूसते हो
क्योंकि नहीं है
बोलने का यह समय

संपूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874