पड़ोसी खतरनाक है-padosee khataranaak hai

padosee khataranaak hai 

पड़ोसी खतरनाक है । 


सावधान प्रिय देश- पड़ोसी खतरनाक है ,

सीमा पर खूनी खेल-हुई अब आम बात है ,

अब तलक पियेगा ज़हर,उगलने की बारी है,

अब नेत्र तीसरा खोल, पड़ोसी खतरनाक है ।

छल-कपट कूटनीति से, उसका गहरा रिश्ता ,

उसकी हर चाल में फंस  जाता तू समझ फरिश्ता ,

फिर भी यदि समझ ना आए, विरोधी कहें मूर्खता ,

है पंच शील  के भूत , पड़ोसी खतरनाक है ।

कुछ हिम्मत इन्दिरा – शास्त्री जी की रंग लाई ,

बना बंगला – देश , दूर लाहौर ध्वजा भारत फहराई ,

ताशकंद में दुरभि – सन्थि , भारत पछताया ,

गये  लाल परलोक , पड़ोसी खतरनाक है।

द्वितीय पड़ोसी चीन – ना जिसका दीन- गिरगिटी रंग बदलता ,

हिंदी – चीनी भाई , कंटीला शूल दिलों में बहुत खटकता,

किया पीठ पर वार , चाऊ-नेहरू के रिश्ते ,

कर लेना फिर याद , पड़ोसी खतरनाक है ।

सावधान  प्रिय  देश , पड़ोसी को पहचानो ,

चाणक्य – नीति  कर याद , शत्रु को  कम मत जानो ,

घायल हैं विष – नाग , कुचल डालो  फन- उसका ,

पथिक , ना कर दे बर्बाद — पड़ोसी  खतरनाक है ।।

padosee- khataranaak -hai
सीताराम चौहान पथिक

 

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