Paryavaran Par Geet – पर्यावरण पर गीत/ पवन शर्मा परमार्थी
Paryavaran Par Geet – पर्यावरण पर गीत/ पवन शर्मा परमार्थी
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं
(१)
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं।
बच्चे, बूढ़े, अधेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं।
(२)
तुम पेड़ों को यूँ ना काटो,
कई हिस्सों में मत ना बांटो।
जो ऐसा करने की सोचें,
मिलकर सारे उनको डांटो।
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं।
(३)
हमसे किसी को क्या नुकसान,
हमसे ही मधुबन औ’ बगान।
ऑक्सीजन लेते सब हमसे,
तब मिले जीवन का है दान।
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं।
(४)
हमारी चाहे जो उमर हो,
हमें किसी से नहीं उजर हो।
प्रदूषण के हैं भारी दुश्मन,
पर्यावरण पे साफ नजर हो।
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं।
(५)
राही को मिले निर्मल छाया,
धूप से मनुज जब घबराया।
औषधि, लकड़ी देते सबको,
हम पर ही आरा चलवाया।
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं।
(६)
अपना वजूद क्यों खोते हो?
प्रदूषण हेतु क्यों रोते हो?
जहर फैलाये जो रगों में,
उन बीजों को क्यों बोते हो?
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं।
(७)
जीना है तो हमें बचाओ,
ऐसा एक संदेश फैलाओ।
अब ना कोई काटे हमको,
हमें ऐसा विश्वास दिलाओ।
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हूँ।
(८)
कार्बनडाई तुमसे लेंगे,
ऑक्सीजन हम तुमको देंगे,
स्वच्छ सांसें तभी तो मिलेंगी,
पर्यावरण सभी शुद्ध करेंगे।
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं।
(९)
छेड़छाड़ की यदि जो हमसे,
प्रकृति बदला लेगी तुमसे,
कितनी भी तुम जुगत लगाना,
बचा ना पाओगे कसम से,
हे मानव हम पेड़ है, बहुत दुःखी हम पेड़ हैं।
(१०)
पड़ा-पड़ा शैतान सड़ेगा,
न अपना तेरे पास रहेगा।
जब बीमार होके मरेगा,
संस्कार नहीं कोई करेगा,
हे मानव हम पेड़ हैं, बहुत दुःख हम पेड़ हैं।
पवन शर्मा परमार्थी
कवि-लेखक
दिल्ली, भारत ।
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