Poem on indian politics in hindi /पवन शर्मा परमार्थी
Table of Contents
राजनीति का अब ऐसा स्तर गिरा है।
(Poem on indian politics in hindi)
१.
राजनीति का अब ऐसा स्तर गिरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
वो अपने ही बारे में बातें करता,
क्रिया वही है, और है वो ही कर्त्ता,
जनता का भाषण से शिकम भरा है।
राजनीति का अब ऐसा स्तर गिरा है।।
ना ही सभ्यता, और नहीं सौम्यता है,
जीतने के लिए वो मत मांगता है,
वो शहर, गांव में चमचों से घिरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
भ्रष्टाचार, मंहगाई से क्या उसे लेना,
उसका काम है मात्र सियासत करना,
लगता नक्षत्र उसका बना मृगशिरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
बलात्कारी, व्यभिचारी, दुराचारी जो,
दुष्कर्मियों में हुआ सबसे भारी वो,
उससे बच्चा, बूढ़ा, जवान डरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
महंगी दाल, रोटी, महंगी सब्जियां हैं,
सब कुछ है महंगा, ये परेशां जहां है,
जो सच को बोले, वो ही तो बुरा है।
राजनीति का अब ऐसा स्तर गिरा है।
२.
राजनीति का अब ऐसा स्तर गिरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
गरीब की कोई भी कीमत नहीं है,
बहन, बेटी की अस्मत सुरक्षित नहीं है,
वही पाखण्डी बना फिरता खरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
नेता रक्षक नहीं, कि बना जानवर है,
बहुत अत्याचारी ना कोई डर है,
वो लुच्चा, लफ़ंगा, निकम्मा निरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
गिरगिट-सा रंग बदलने में निपुण है,
गुंडागर्दी, धमकी देना ही गुण हैं,
आजादी का मजा किया किरकिरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
देख नेता को अब तो होती है नफ़रत,
सरेआम जो लूटे जनता की इज्जत,
पिस्तौल जेब में औ’ कर में छुरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
हे प्रभु तू कर दे जनता पे रहमत,
झूठों को दिखादे तू सच की इल्मत,
आदमी जीतेजी हुआ अधमरा है ।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
३.
राजनीति का अब ऐसा स्तर गिरा है ।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
जब हो चुनाव तो दर्शन वो है देता,
वरना पाँच वर्ष तक गायब ही रहता,
आम जन-जीवन ही गया चरमरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
उसकी धमकियों से कभी नहीं डरना,
वो सुधरे कभी, यह आशा ना करना,
दुःख किसी का उसके लिए तो ज़रा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
जनता रोटी की भूखी, वो कुर्सी का,
मंत्री बनना मक़सद केवल है उसका,
देख नेता को जखम होता हरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।
वो कुर्सी पर बैठा करता है शासन,
मरती भूखी जनता, बिन सब्जी राशन,
उसके पापों से यह बोझिल धरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।
मतलब के लिए कुछ भी वो है करता,
देशद्रोही बन देश भी बेच देता,
ज़मीर उसका अब तो इतना गिरा है।
कि देश का नेता बना सिरफिरा है।।
—पवन शर्मा परमार्थी
कवि-लेखक
9911466020 वाटस एप
9354004140
दिल्ली, भारत ।
अन्य लेख पढ़े :
आपको Poem on indian politics in hindi /पवन शर्मा परमार्थी की रचना आपको कैसी लगी अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में बतायें।
हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।|आपकी रचनात्मकता को हिंदीरचनाकार देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है| whatsapp के माद्यम से रचना भेजने के लिए 91 94540 02444, ९६२१३१३६०९ संपर्क कर कर सकते है।