बसंत पंचमी पर कविता | POEM ON BASANT PANCHAMI IN HINDI
बसंत पंचमी पर कविता | POEM ON BASANT PANCHAMI IN HINDI बसन्त पंचमी के पावन अवसर पर,लोक कल्याण की कामना से मॉ शारदे के श्री चरणों में सादर समर्पित भाव-सुमन:-
ज्ञान ,कला,विज्ञान तुम्हीं से,
तुमसे जीवन-ज्योति जले,
सॉसों में स्वर-लय सब तुमसे,
छन्द मधुर नव गीत पले।टेक।
हंस वाहिनी तू जग-माता,
कलरव कण्ठ तुम्हीं से पाता,
वेद-ॠचायें तव यश गायें,
धन्य धरा ,जीवन हो जाता।
कर दो कृपा-दृष्टि हे माते,
निर्मल उर हो , अहम् गले।
ज्ञान,कला,विज्ञान तुम्हीं से,
तुमसे जीवन-ज्योति जले।1।
घिरा गहन अज्ञान-तिमिर पथ,
लक्ष्य हुआ जाता ओझल,
छोड़ तार वीणा के माते,
धर दे सिर पर निज करतल।
पाप-ताप,कल्मष तू हर ले,
पग पल-पल पन्थ सुपन्थ चले।
ज्ञान,कला,विज्ञान तुम्हीं से,
तुमसे जीवन-ज्योति जले।2।
खाली झोली जग की भर दे,
अधर सुधा-घट माते धर दे,
नयन-कोर में स्नेह,दया का,
अविरल पावन निर्झर कर दे।
सत्य,न्याय-पथ,राष्ट्र-धर्म हित,
जन-गण-मन साथ चले ।
ज्ञान,कला,विज्ञान तुम्हीं से,
तुमसे जीवन-ज्योति जले।3।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘ हरीश’,
रायबरेली (उप्र) 229010
9415955693,9125908549