रश्मि लहर की कविताये | Poems of Rashmi Lehar

रश्मि लहर की कविताये | Poems of Rashmi Lehar

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ना वो महकी हुई नदियाँ


बहुत बेबस हुआ जीवन, बची केवल हैं कुछ सदियाँ!
दरख्त हैं वो ना वो शाखें, ना वो महकी हुई नदियाँ।

अनोखे अपने यौवन की,
ज़रा सी याद बाकी है।
दीए जलते थे सपनों के,
वो कालिख अब रूलाती है।

हुए झरनें भी बे-आवाज़, धुंधली अब लगें छवियाँ।
दरख्त हैं वो ना वो शाखें, ना वो महकी हुई नदियाँ।

उमर बीती तो यूं रीती
कि साया तक है अब छूटा।
जो तन के लोभ से चिपका,
रहा ना कोई वो रूठा।

बचें हैं किरकिरे अनुभव, पसीजी जागती रतियाँ।
दरख्त हैं वो ना वो शाखें, ना वो महकी हुई नदियाँ।

मुझे इस उम्र में आकर,
अकेलापन उबाये है।
कुछेक याँदें जड़ीलीं हैं,
जो चंदन-वन सजाये हैं।

हुए जब लुप्त सब साथी, नहीं क्यों धुल गईं सुधियाँ।
दरख्त हैं वो ना वो शाखें, ना वो महकी हुई नदियाँ।


प्रेम का चंदन ले आओ

मृत्यु आ जाने से पहले, प्रेम का चंदन ले आओ।
क्षीण बाहें कांपती हैं, नेह आलिंगन ले आओ।।

पट रही है ये धरा अब, मानवी-निश्चेष्ट तन से,
खुल चुकी हैं मुट्ठियां भी, जो बंधी थीं क्षणिक धन से।

टूटती हैं तन शिराएं, सजग अभिनंदन ले आओ।
मृत्यु आ जाने से पहले, प्रेम का चंदन ले आओ।।

पवन में चीखें घुली हैं, घूरती बुझती चिताएं।
जन्म-जन्मांतर के साथी, पर कहाॅं संग मिट भी पाएं।

भ्रमित स्वर-लहरी न भाए, गीत स्पंदन ले आओ।
मृत्यु आ जाने से पहले, प्रेम का चंदन ले आओ।

जागकर मधुरिम सवेरा, दे नहीं ऊर्जा रहा।
दु:ख कतारों में खड़ा, हर पीर को उलझा रहा।

जन्म लें कुछ नव-कथाएं, जागृति नंदन ले आओ।
मृत्यु आ जाने से पहले, प्रेम का चंदन ले आओ।

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रश्मि लहर

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