जीवन पर कविता – Jeevan Par kavita in hindi
जीवन पर कविता – Jeevan Par kavita in hindi
पूनम सिंह
जीवन
हम अपने जीवन में से जितना व्यर्थ निकालते जाएंगे,
हमारे विचार में भी जीवन ऐसा चलता है ,
हम सोचते है ,
जीवन में जितना जोड़ते चले जा रहे हैं ,
अच्छा कुछ हो नहीं रहा।
असल बात तो यह है ,
हम जीवन में से कितना निकालते चले जाए,
जैसे एक पत्थर से मूर्तिकार टुकड़ो को निकलता चला जाता है ,
और एक वही पत्थर मूर्ति बनकर के अवस्थित होता है ,
ऐसे ही हम भी विचार करे कि अपनी
ज्ञान की हथौड़ी लेकर
विवेक की रोशनी से विचार करो
कि हमने अपने जीवन में क्या-क्या व्यर्थ रखा है ,
जिसको देखो उसी को मन में जगह दे दी है ,
सड़क चलते सभी आदमी सीधा मन में घुसता है।
मन है या कोई डस्टबिन है ?
हम व्यर्थ का जितना निकालते चले जायेगे
पता चलेगा जीवन उतना स्वस्थ्य है ,
उतना प्रसन्न है और उतना ही आनन्दित है ,
विचार करिये जो संबंध जो वस्तु
जो विचार व्यर्थ है उसे अति शीघ्र
जीवन से बाहर करिये
निवेदन है।
भावना
भाव जब असमर्थ हो जाते है ,
तब आँख से आँसू आते है ,
परन्तु आँसुओ का भी ,
अपना एक सत्य है ,
कोई अपनी गलती
ढूढ़ता हुआ छलकता है ,
और कोई स्वार्थ सिद्ध करने हेतु
इस मुश्किल दौर में ‘प्रेम ‘ ही है ,
जो बचा सकता है संसार को
अभी के माहौल को देखते हुए ,
जहाँ एक तरफ दुनिया ख़त्म सी हो रही है।
वही कही इंसानियत भी मर रही है
मै इस दौरान केवल और केवल प्रेम को ही समझाना और लिखना चाहती हूँ ,
क्योकि प्रेम ही प्रेम ही हम सभी को बचा सकता है।
और मैं प्रेम को बचाना चाहती हूँ
यही जीव और संसार का आधार है।
वो हर चीज़ हम स्वीकार कर ले जो हमे जो तकलीफ देती है ,
पुनः फिर शायद तकलीफ भी आदत मैं आ जाये।
– पूनम सिंह
समय ही सबको तोड़ देता है है ,
कोई किसी को क्या तोड़ेगा।
– पूनम सिंह
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