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Ramayani Dohe-रामायणी दोहे / सीताराम चौहान पथिक

रामायणी दोहे


धोबी के सुन कटु वचन ,
आहत थे श्री राम ।
प्राण- प्रिया सीता तजी ,
जन – हितकारी राम ।।

सिया पतिव्रता थी जदपि ,
अग्नि देव का साथ ।
नर – नारायण राय भी ,
नहीं मिटा संताप ।।

राजनीति में नीति है ,
मर्यादा का मान ।
रामायण से सीख लें ,
कुटिल — बुद्धि इंसान  ।।

राम – चरित आदर्श है ,
सुन ले भरत कुमार ।
डगमग नैया देश की ,
बन जा तू पतवार ।।

आज सगे संबंध भी ,
कलुषित हुए हाए ।
राम – भरत मिलाप सब ,
लीला बीच सुहाए ।।

श्रवण – भक्त के देश में ,
मातु – पिता पछताएं ।
पुत्र पिता को छल रहे ,
करते हैं — — हत्याएं ।।

धन्य ऊर्मिला पतिव्रता ,
महलो में वनवास ।
चौदह वर्षो की अवधि ,
नित्य किए उपवास ।।

रामायण सागर अथाह ,
मोती मिले अपार ।
कलियुग की संजीवनी  ,
नैया करती पार ।।


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सीताराम चौहान पथिक

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