Sab- Achchha- ho- jaega

Sab Achchha ho jaega – सब अच्छा हो जाएगा/ ज्योति गुप्ता

Sab Achchha ho jaega: जब हर जगह निराशा है, साल आधा भी नही बिता एक और कोरोना जैसी महामारी , दूसरी और चक्रवात उस स्थिति में लेखिका ने सकारात्मक सोच के साथ इस कविता सब अच्छा हो जाएगा से मानवता में आशा का संचार कर दिया है, गरीब भूखा पेट नही रहेगा प्यासा कोई नही रहेगा , रोजगार के बिना युवा अवसाद ग्रस्त है लेकिन हर रात के बात सुबह होती है उसी प्रकार युवा पीढ़ी को रोजगार मिलेगा आशा का दीपक जलाएं रखना है, हमे आशा है कि जो भी इस कविता से सीखेंगे आप हमे कमेंट बॉक्स में बताये जिससे हमें और बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी।

सब अच्छा हो जाएगा


जब बंजर मरू
उर्वरता ओढ़ेगा
ध्रुवो पर शीत का
पहरा लगेगा
तटो पर सागर
मौन धरेगा
भूखा उदर न
प्यासा कंठ रहेगा
अवसाद रहित
उन्माद मृदंग बजेगा
न कृष्ण को आना हो
न कोई कंस रहेगा
पापो का नाश
स्वतःहो जाएगा
प्राकृति संग मानवता को
बस मानव बचा पाएगा
युग ऐसा जब आएगा
सब अच्छा हो जाएगा


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ज्योति गुप्ता

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