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Republic day par poem/शहीदों को नमन

Republic day par poem: सीताराम चौहान पथिक की रचना शहीदों को नमन  ७३ वां  गणतंत्र  दिवस पर हिंदुस्तान को समर्पित है । यह रचना वीर क्रांतिकारियों  को नमन करने का सन्देश देती है वह शहीद जिन्होंने अपना यौवन देश को समर्पित किया , प्रस्तुत है रचना ।

शहीदों को नमन ।

अमर शहीदो – राष्ट्र तुम्हें ,
करता प्रणाम सौ बार ।
तुम्ही राष्ट्र की अमर धरोहर ,
नमन तुम्हे शत बार ।

तुमने अपना खिलता यौवन ,
किया देश के हित बलिदान।
सुन्दर सुखद सुनहरे सपने ,
अपना कल करके कुर्बान ।

राष्ट्र तुम्हारे बलिदानों से ,
अमिट प्रेरणा प्राप्त करेगा ।
अर्पित करते क्षण जीवन को,
तनिक विलम्ब भी नहीं करेगा

त्याग तुम्हारा नव- युवाओं में ,
प्रबल प्रेरणा स्रोत बनेगा ।
अब आतंकी का दुस्साहस ,
कब्र उसी की स्वयं बनेगा ।

कितना ओजस्वी था नारा ,
रक्त मुझे दो — आज़ादी लो।
आई- एन – ए की हुई स्थापना ,
जय हो , जय सुभाष की जय हो ।

जलियांवाले बाग से आहत ,
मर्माहत था देश हमारा ।
लंदन में जनरल डायर को ,
ऊधम सिंह जवान ने मारा ।

सत्य- अहिंसा और शक्ति ,
अद्भुत संगम था आज़ादी का
दोनों के ही प्रयत्नों से ,
उगा सूर्य नव – आज़ादी का।

राष्ट्र – पिता के सत्याग्रह से ,
स्तंभित ब्रिटिश राज्य था सारा ।
लंगोटी – धारी महात्मा से ,
ब्रिटेन ने सब कुछ हारा ।

यह शूरो – वीरों का भारत ,
कर्म भूमि सतवंतो की ।
सभी धर्म गंगा की धारा ,
पुण्य – भूमि भगवंतो की ।

भारत – मां के अमर शहीदों ,
पथिक का शत्-शत तुम्हें प्रणाम ।
तुम्ही क्रान्ति के अग्र- दूत हो
तुम से हे देश महान ।।

एस आर चौहान पथिक
एस आर चौहान पथिक

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