parakram diwas kavita / वीर सुभाष -सीताराम चौहान पथिक

parakram diwas kavita : सुभाष  चंद्र  बोस  की  जयंती  हर  वर्ष  23  जनवरी  को  मनाई  जाती  है लेकिन इस  वर्ष  हिंदुस्तान की सरकार ने निर्णय लिया है कि नेताजी की १२५  जयंती  पराक्रम दिवस के रूप में मनायी जाएगी । सुभाष चंद्र  बोस की प्रसिद्धि का  कारण भारतीय  स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी  और सबसे बड़े नेता होना था , ऐसे  वीर सपूत  के लिए दिल्ली के वरिष्ठ साहित्यकार सीताराम चौहान पथिक ने वीर सुभाष कविता हिंदुस्तान की जनता को समर्पित की है ।  

वीर सुभाष ।


जय – जय – जय बंगाल भूमि,
वीरों की जननी जन्मभूमि ,
टैगोर – विवेकानंद – सुभाष ,
कर्मठ वीरों की जन्म- भूमि।

जल- थल – नभ ने हुंकार भरी,
नेता जी ने जब कहीं खरी ,
दो खून मुझे- आजादी लो ,
सुन कर दहाड़ आक्रोश भरी।

आजाद – हिन्द सेना ने जब ,
ध्वज लिए तिरंगा कूच किया,
कालीकट आदि नगर जीते ,
गोरों ने कड़वा घूंट पिया ।

हाय , विश्व – युद्ध में जब ,
परमाणु बम – विस्फोट हुआ ,
नागासाकी और हिरोशिमा ,
मानवता को संकोच हुआ ।

जीती बाजी पलटी पल में ,
जापान मित्र की हार हुई ,
बिखरी आजाद हिन्द सेना ,
संकट की घड़ी सवार हुई ।

दिल्ली चलो – सपना सुभाष का ,
विश्व – युद्ध ने ध्वस्त किया ,
अन्यथा विजयी होता भारत ,
राहु – केतु ने ग्रस्त किया ।

जन- श्रुति, विमान नेता जी का ,
आकाश – मार्ग में लुप्त हुआ ,
नहीं मिले कहीं अवशेष वहां ,
रहस्य दिनों-दिन गुप्त हुआ ।

नेता सुभाष सा देश – भक्त ,
कथनी- करनी जिसकी समान ,
ऐसे नर – नायक मिलें कहाँ  ॽ
जिनसे भारत – माता महान ।

बंगाल- भूमि के – हे गौरव ,
भारत तुम से है धन्य हुआ ,
निस्वार्थ त्याग भारत हित में ,

पथिक – मांगता यही दुआ ।

parakram- diwas- kavita

सीताराम चौहान पथिक

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