saadhak aur siddh/साधक और सिद्ध-संपूर्णानंद मिश्र
साधक और सिद्ध
(saadhak aur siddh)
बहुत बड़ा अंतर है
साधक और सिद्ध में
पूरा जीवन खपाता है
साधक इस सिद्धि के लिए
तब भी नहीं हाथ आती है
कई जन्मों की तपस्या है यह
नहीं है यह फल
किसी एक जन्म का
विश्वामित्र जैसे
सिद्ध पुरुष का दूर
हो गया था यह भ्रम भी
इसलिए सिद्ध की घोषणा
का द्वार माया के महल
तक जाता है
जहां काम नचाता है उसे
भ्रमित हो गए थे नारद जैसे देवर्षि भी
मर्कट बना दिया उन्हें
जितेन्द्रिय होने के घोष ने
बहुत कठिन होता है साधक बनना भी
नचाता है काम समय- समय पर
बांधना पड़ता है इंद्रियों को
सतसंग की डोर में
तभी बच सकता है मनुष्य इससे
एक रोग है
साधना भी मधुमेह की तरह
नहीं ठीक हो सकता है
पूर्ण रूप से कभी भी
हां नियम संयम परहेज
एवं कुछ औषधि से नियंत्रित किया जा सकता है
लेकिन नहीं हो सकता विमुक्त पूरी तरह से
वैसे ही सिद्धि का रोग
लग जाता है कुछ लोगों को
और इस रोग का पथ
नरक को ही जाता है
संपूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874
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