Sainik Ke Munh Se – सैनिक के मुंह से | देश गीत

Sainik Ke Munh Se – सैनिक के मुंह से | देश गीत

सैनिक के मुंह से

sainik-ke-munh-se

( देश गीत)
————————-
वतन पर हम मिटें हैं हम,
वतन के मीत कहलाते।
वतन की चाह दिल में है,
वतन के गीत हम गाते।

यहां की मिट्टी का हर कण,
हमें प्राणों से प्यारा है।
चढ़ा कर शीश अपना आज,
कर्ज इसका उतारा है।

वतन से प्यार कितना है,
कफ़न को ओढ़ दिखलाते।

यहां का अन्ना खाया है,
यहां का जल पिया हमने।
लोटकर इसकी मिट्टी में,
जीवन‌ को जिया हमने।

वतन पर आंच न आये,
शत्रु से लड़ने को जाते।

वतन अपना रहे महफूज,
मन में सोचते रहते।
शत्रु की हरकतों को हम,
सदा ही देखते रहते।

बोल जयहिंद का नारा,
गोली सीनें में खाते।
sainik-ke-munh-se
दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश”

अन्य  पढ़े :

आपको  Sainik Ke Munh Se – सैनिक के मुंह से – देश गीत / दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश”  द्वारा स्वरचित रचना कैसी लगी , अपने सुझाव कमेट बॉक्स में अवश्य बताये ,  पसंद आने पर सामाजिक मंचो पर शेयर करे इससे रचनाकार का उत्साह बढ़ता है।

हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।आपकी रचनात्मकता को हिंदीरचनाकार देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है| whatsapp के माद्यम से रचना भेजने के लिए 91 94540 02444, ९६२१३१३६०९  संपर्क कर कर सकते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *