सरकार टमाटर बेंच रही /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
सरकार टमाटर बेंच रही
विपक्ष रोटियॉ सेंक रहा,
सरकार टमाटर बेंच रही,
दिल्ली मैं सड़कों पर नौका,
भोली जनता सब देख रही।टेक।
लाल किला में पानी है,
पानी ने आफत ढ़ाई है,
घर से बेघर लोग हो गये-
सॉसत में बहू,लुगाई है।
बचपन रोता,वृद्ध तड़पते,
सब गुमसुम दिल्ली देख रही।
विपक्ष रोटियॉ सेंक रहा,
सरकार टमाटर बेंच रही।1।
वर्क फ्राम अब होम हो गया,
मंगल से देखो सोम हो गया,
नये बजट का नया कमीशन-
मस्त कमीशन खोर हो गया।
आरोपों के पलटवार में,
मिथ्या चौसर खेल रही।
विपक्ष रोटियॉ सेंक रहा,
सरकार टमाटर बेंच रही।2।
पुल टूट रहे सब डूब रहे,
गिरते पर्वत को कौन कहे,
देव भूमि की हालत जर्जर-,
पत्थर-पानी के साथ बहे।
सर्वत्र सुमंगल की अभिलाषा,
अम्बर को धरती देख रही।
विपक्ष रोटियॉ सेंक रहा,
सरकार टमाटर बेंच रही।3।
बहुतों ने खोया अपने जन को,
फिर धीर धराये कौन नयन को,
आई बाढ़ प्रलय संग लाई-,
झकझोर दिया जन-जन के मन को।
कोरे जनहित में उलझे सब,
कब शासक-नीयत नेक रही।
विपक्ष रोटियॉ सेंक रहा,
सरकार टमाटर बेंच रही।4।
रचना मौलिक,अप्रकाशित,स्वरचित,सर्वाधिकार सुरक्षित है।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’,
रायबरेली (उप्र) 229010
9415955693