Like a butterfly in the sky.

मुसाफिर’, शब्दाधारित रचना / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

मुसाफिर’, शब्दाधारित रचना

मुसाफिर प्यार का बन कर,
सफर आसान कर लेना,
नहीं कुछ और जीवन में,
सफल अभियान कर लेना।टेक।

कदम तुमने बढ़ाये हैं,
कहॉ मंजिल तुम्हारी है,
सफल जो हो गया चलकर,
उसी की राह प्यारी है।
लुटाकर स्नेह की खुशबू,
सभी से प्यार कर लेना।
मुसाफिर प्यार का बन कर,
सफर आसान कर लेना।1।
,

मिलेंगे राह में कण्टक,
घटा घिर-घिर के छायेगी,
चलेंगे मौज में सारे,
हवा दीपक बुझायेगी।
अंधेरा जिन घरों में हो,
वहॉ दीपक जला लेना।
मुसाफिर प्यार का बन कर,
सफर आसान कर लेना।2।

नहीं अवरोध तुम बनना,
दया,सहयोग नित करना,
घड़ी होती परीक्षा की,
सफलता साथ ले बढ़ना।
मुसाफ़िर बन कर हम आये ,
मनुज ऋंगार कर लेना।
मुसाफ़िर प्यार का बन कर ,
सफर आसान कर लेना।3।

कहीं झंझट-फसादों में,
स्वयं मशगूल न करना,
कुटिल लोगों से मिलने की
कभी तुम भूल न करना।
बिखरते रूप के बादल,
सजग हो दूर कर लेना।
मुसाफ़िर प्यार का बन कर,
सफर आसान कर लेना।4।

रचना मौलिक,अप्रकाशित,स्वरचित,सर्वाधिकार सुरक्षित है।

हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’,
रायबरेली (उप्र) 229010
9415955693

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