सत्य है पुंज प्रकाश का / वेदिका श्रीवास्तव
सत्य है पुंज प्रकाश का / वेदिका श्रीवास्तव
न्याय -न्याय बस चिल्लाने से न्याय नहीं मिल जाता है ,
सत्य है पुंज प्रकाश का ,खुद अपनी राह बनाता है |
भीगे चाहे ज़ितने अधिकार ,अन्नयायों की बारिश से ,
एक दिन दुर्योधन आखिर को रण भूमि में आता है |
खो बैठे विवेक जो अपना ,ना समझे वो जीत गए ,
सच्चाई तो एक शोला है ,झूठ उसमे ज़ल जाता है |
भारत की गरिमा है नारी ,नारी से ही नर जन्मा ,
बेइज्जत झूठा इसको करनेवाला,अपना ही मान गंवाता है |
शत्रु से भी बैर नहीं बस बात है नीती -नियम की ,
पर अपना भी जब गलत करे तो महायुद्ध हो जाता है |
गीता पढ़कर कृष्ण नहीं हो जाता है कोई भी ,
हाँ धरम का ग्यान मगर ,अधर्मो से हो जाता है |
पुष्प नैतिकता के खिलने ही ना देते लोग ,
तभी तो अपने भारत में ,न्यायालाय बढ़ता जाता है |
कौन है दोषी ,कौन है सच्चा ,पता लगाना बड़ा ही मुश्किल ,
अब तो झूठ इतना है की ,सच सच कहने में घबराता है |
भूल चुके हैं पर सभी ये ,चिट्ठा एक दिन खुलता है ,
साधू धारी दानव भी एक दिन तो सामने आता है |
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