उसकी लाठी से नहीं बचोगे | गीत | पवन शर्मा परमार्थी
उसकी लाठी से नहीं बचोगे | गीत | पवन शर्मा परमार्थी
उसकी लाठी से नहीं बचोगे।
उसकी लाठी से नहीं बचोगे।
तुम साज़िश कोई अगर रचोगे।।
(१)
झूठ का जाल फैलाने वालो,
कालाबजार में जाने वालो,
रातों की नींद उड़ाने वालो,
लाशों से क़फ़न चुराने वालो,
अगर ऐसा ही करते रहोगे।
उसकी लाठी से नहीं बचोगे।।
(२)
कांटो का ताज सजाने वालो,
उपवन में खार उगाने वालो,
झूठे ही सपन दिखाने वालो,
वतन की बोली लगाने वालो,
इस मिट्टी में हर हाल मिलोगे।
उसकी लाठी से नहीं बचोगे।।
(३)
बड़े सब्ज़ बाग दिखाने वालो,
ज़हरीला जाम पिलाने वालो,
बिन सुर के साज़ बजाने वालो,
बेमतलब गीत सुनाने वालो,
तुम तो श्वान की मौत मरोगे।
उसकी लाठी से नहीं बचोगे।।
(४)
दुनिया में पाप बढाने वालो,
अपने ही ज़हन सड़ाने वालो,
देश का मज़ाक उड़ाने वालो,
भारत का मान घटाने वालो,
फल अपनी करनी का भुगतोगे।
उसकी लाठी से नहीं बचोगे।।
(५)
इस सत्ता से टकराने वालो,
आंदोलन बड़े चलाने वालो,
प्रेम का दीपक बुझाने वालो,
आतंकवाद अपनाने वालो,
तुम कारागार में ही सड़ोगे।
उसकी लाठी से नहीं बचोगे।।
(६)
सुधर जाइये जमाने वालो,
हमें बेवकूफ़ बनाने वालों,
संकट में देश फ़साने वालो,
हक़ीकत अपनी छुपाने वालो,
जो तुमने किया वो ही भरोगे।
उसकी लाठी से नहीं बचोगे।।
आपको उसकी लाठी से नहीं बचोगे | गीत | पवन शर्मा परमार्थी की स्वरचित रचना कैसी लगी , पसंद आये तो समाजिक मंचो पर शेयर करे इससे रचनाकार का उत्साह बढ़ता है।हिंदीरचनाकर पर अपनी रचना भेजने के लिए व्हाट्सएप्प नंबर 91 94540 02444, 9621313609 संपर्क कर कर सकते है। ईमेल के द्वारा रचना भेजने के लिए help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है|
अन्य रचना पढ़े :