Vedika Srivastava latest Poem | शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा (Vedika Srivastava latest Poem)

शरद पूर्णिमा चन्द्र है ऐसा जो सोये भाग्य जगा दे ,
शरद पूर्णिमा शुभ होता है जो विश्वास जता दे !

शरद पूर्णिमा आम नहीं है ,हंसी नहीं लेना इसकी ,
शरद पूर्णिमा है एक मौका ,संवरी कितनो की राशि!

दर्शन चन्द्रदेव के होते ,अदभूत ,अनंत फल हैं देते,
शरद पूर्णिमा कृष्णा आते ,शिव ब्रह्मा भी संग है रहते !

अच्छे कर्मो का कर्ता कभी नहीं होता असफल,
शरद पूर्णिमा को परमात्मा ,अच्छे कर्मो का फल है देते !

स्वयं प्रभू आते चन्द्र में ,माहारास का दृष्य दिखाते ,
ब्रह्मांड में जय जय कार है होते,ईश्वर अदभूत लीला रचाते!

कर लो दर्शन चन्द्रदेव के विश्वास ना खण्डित होगा कभी ,
जागो आज की रात हे !प्रियवर जागेगी किस्मत सोयी !

झूठ भी ज़रूरी है ( Vedika Srivastava latest Poem )

माना सत्य है बड़ा सभी से ,माना विजय निश्चित इस पथ पर ,
फिर भी ध्यान धरो थोड़ा -सा ,क्या झूठ ज़रूरी नहीं है होता ,
तीर चले जब सत्य पे ,हो झूठे बाणो का प्रहार ,
इधर -उधर जब भटके सच्चाई ,ठुकराई जाये जब गुहार ,
कहती ‘वेदी ‘,झूठ को भी पड़नी चाहिए मार ,
सत्य बचाने की खातिर झूठ नहीं बेकार |

माना सत्य है ………

जब झूठ हो सत्ताधारी और सत्य रहे भिखारी ,
जब मानवता को कुचल रहे हो वहशी ,अत्याचारी,
सम्मान जहां चोटिल हो जाये ,हक से वंचित हो जब नारी,
झूठ नहीं बुरा है ‘वेदि’,अन्नयाय सहन है लाचारी |

माना सत्य है ………

‘सत्यमेव जयते ‘ होगा तब ,जब सत्य भी चतुराई सीखे,
गांधी जी के पथ पर चलकर,कृष्णा के शब्दों को सींचे,
झूठ जो अपनी मर्यादा लांघे,सत्य को लेना होगा सबक,
सत्य बचाने की इच्छा है तो ,पासे झूठ के दो पलट |

माना सत्य है ……….

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वेदिका श्रीवास्तव

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