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शिशु और जननी | sitaram chauhan new kavita

शिशु और जननी

बच्चा प्रभु का रूप है ,
सुन्दर सुघड़ अबोध ।
इससे प्रीति बढ़ाइए ,
मिटे बुढ़ापा रोग ।।

तन मन हो रोमांचित ,
बच्चा बन कर देख ।
चिंताएं मिट जाएंगी ,
दिखे न दुःख की रेख ।।

बच्चा तो भगवान है ,
इसे मान वरदान ।
कभी रोष मत कीजिए ,
क्योंकि यह नादान ।।

प्रेम और संतोष के ,
दें सुन्दर सुविचार ।
स्वयं को तनिक सुधारिए,
पाएंगे सद – व्यवहार ।।

संस्कार , सद-गुण अवधि ,
केवल कुछ ही वर्ष ।
मात-पिता सुविचार लें ,
शिशु में नैतिक- उत्कर्ष ।।

राष्ट्र – भाव रोपित करें ,
सुना कर रामायण पाठ ।
चरित्रवान हो जाएगा ,
भरत – भूमि के ठाठ ।।

बच्चा तो अलिखित स्लेट ,
लिख दोगे – बन जाएगा ।
जन्म भूमि और राष्ट्र-प्रेम ,
समग्र देश ऋणी हो जाएगा।

विश्व- गुरु का स्वप्न तो ,
नव- संतति से होगा साकार ।
जननि -भूमिका श्रेष्ठ है ,
होगा भारत पर उपकार ।।

माताएं हैं सर्वश्रेष्ठ गुरु ,
माता हो शिक्षित गुणवान ।
सम्मान वॄद्धो का सिखा दें ,
ऋणी होगा देश महान ।।

जागो भारत की नारियो ,
राष्ट्रीय- ऋण चुकाओ आज।
स्वयं में परिवर्तन करो ,
पथिक , फिर आए राम राज ।।

सीताराम चौहान पथिक नई दिल्ली
सीताराम चौहान पथिक
नई दिल्ली

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