विमुख / सम्पूर्णानंद मिश्र

विमुख / सम्पूर्णानंद मिश्र

सत्य से विमुख व्यक्ति
फोटो की तरफ़ भागता है
क्योंकि
भीतर अपने अमा लेता है
फोटो
पेट के पाप को
और
निष्पाप चेहरा
दिखाता है समाज को
वैसे आजकल
एक चेहरे से
जीवन जीना
पानी पर लकीरें खींचना है
रावण के
भी दस चेहरे थे
लेकिन
परछाईं एक थी
आज हर चेहरे की
अनगिनत परछाइयां है
इसलिए
परछाइयों के आधार
पर व्यक्ति के वास्तविक चेहरे
को फोटो में ढूंढ़ पाना
पत्थर पर दूब जमाना है

सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *