अमर धरोहर भरत-वंश की

अमर धरोहर भरत-वंश की।

अगर चाहता जीवन को तू,
अपने सफल बनाना ,
कदम-कदम तू कदम मिलाकर,
आगे बढ़ते जाना ।।टेक।

लक्ष्य तुम्हारा आगे बढ़कर,
तुम्हें सफलता लेनी है,
मन में भर उद्दाम लालसा,
सीख सभी को देनी है।
नहीं तनिक सन्देह हमें अब,
नव इतिहास रचाना।
कदम-कदम तू कदम मिलाकर,
आगे बढ़ते जाना।।1।

अगर चाहता पौरुष-गाथा,
तेरी दुनिया गाये ।
विश्व-गुरू का मान तुम्हें दे,
तुमको शीश झुकाये ।
अमर धरोहर भरत-वंश की,
पावन लाज बचाना।
कदम-कदम तू कदम मिलाकर,
आगे बढ़ते जाना ।2।

जननी,जन्मभूमि से बढ़कर ,
जीवन में कुछ और नहीं।
अनुपल जहॉ अमरता झूमें,
और दूसरा ठौर नहीं।
परहित-रत हो सॉस तुम्हारी,
बन मलयज मुसकाना।
कदम-कदम पर कदम मिलाकर ,
आगे बढ़ते जाना।3।

कोटि-कोटि कण्ठों से तुझको,
जय-जय-जय जयकार मिले।
नव विकास की नवल तूलिका,
हरा-भरा संसार मिले।
राष्ट्र-पंथ के अमर पुजारी,
मॉ का मान बढ़ाना ।
कदम-कदम पर कदम मिलाकर,
आगे बढ़ते जाना।4।

हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ,हरीश,
रायबरेली -229010 (उ प्र)
9415955693,9125908549

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