क्रोध और अहंकार / सीताराम चौहान पथिक
क्रोध और अहंकार / सीताराम चौहान पथिक
अहंकार जब आ जाता है ,
नशा आँख में छा जाता है ।
पतन तभी होता है यारो ,
अहम मनुज को खा जाता है
इतिहास यही सब दोहराता है
अनुज विभीषण बन जाता है
त्रैलोक्य- विजयी रावण भी तब ,
मात राम से खा जाता है ।
अहम बुद्धि का घोर विनाशक
दम्भी दुर्योधन कुल का घातक
क्षमा, दया, तप, त्याग से पांडव ,
बने महाभारत के नायक ।
अहम , क्रोध से बचना प्यारे,
दोनों ने महा धुरंधर मारे ।
दोनों युगों-युगों के साथी ,
शूरवीर सब इनसे हारे ।।
सज्जनता, शालीनता – – – ,
तजो ना इनका संग ।
संघर्षो में सफलता – – – ,
रह जाओगे दंग – – – – ।
अहंकार और क्रोध से ,
बचना भारत – वीर ।
राजनीति में भी पथिक ,
चमकेंगे नव – रंग ।