hindi-poems-author-harishchandra-tripathi-harish

रचनाकार हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ की हिंदी कविताएं

रचनाकार हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ की हिंदी कविताएं

बाल आवाहन

१. आओ हम संकल्प नया लें

ले लो दीप दिवाली आई,
होंठों पर फिर लाली छाई ।1।

नूतन का हम स्वागत करते,
उपवन ने हरियाली पाई।2।

लगा सिमटने सूरज देखो,
सोंधी महक लिए पुरवाई।3।

हर घर चौखट दीप जलेंगे,
हम खायेंगे खीर मलाई।4।

गोले दगें, पटाखे फूटें,
खील,बतासे बॅटे मिठाई।5।

इसी बहाने हो जाती है,
हर इक घर की साफ-सफाई।6।

माटी के हम दीप जलायें,
मिटे प्रदूषण करें भलाई ।7।

आओ हम संकल्प नया लें,
परहित रत हों,तजें बुराई।8।

२. हृदय-उद्गार

अनुपल जीवन को मिलें,
खुशियॉ अपरम्पार ।
सत्य स्नेह-पथ पर चलें,
करें मधुर व्यवहार।1।

स्वस्थ,सुखी इस जगत की,
अनुपम हो हर नीति ।
दम्भ-द्वेष-मद त्याग कर,
चलें सनातन रीति ।2।

आओ हम मिलजुल करें,
सहज प्रकृति गुणगान।
गोचर, द्रष्टा मनुज को,
दिया सकल वरदान ।3।

श्रम पूरित हर लक्ष्य हो,
प्रवहित स्नेहिल गंग।
सबका साथ विकास हो,
पूरित अंग उमंग।4।

अज्ञान तमस के नाश को,
हो जाओ तैयार ।
बढ़े राष्ट्र उत्थान हो,
पूर्ण सकल त्यौहार ।5।

दीपशिखा की ज्योति सी,
बिखराओ नित ज्ञान ।
असत त्याग सत पर चलो,
भारत देश महान ।6।

ग्राम , नगर के साथ ही,
हो सीमा पर उल्लास।
तम का पूर्ण विनाश कर,
बिखरे नवल प्रकाश। 7।

जीवन दायी प्रकृति यह,
करो नहीं अपमान ।
इसके संरक्षण से मिले,
अधरों को मुस्कान ।8।

नित नूतन संकल्प लो,
कुटिल काल की चाल।
निज पौरुष-गाथा लिखो,
उन्नत हो हर भाल। 9।

विघटनकारी तत्व से ,
सदा रहो होशियार।
राष्ट्र प्रेम बलिदान हित,
कर निर्भय ललकार।10।

३. ऐसे दीप जलाना साथी

तम को दूर भगाना साथी,
ऐसे दीप जलाना साथी।
हर घर-ऑगन उजियारा हो,
खुशियॉ खूब लुटाना साथी ।टेक।

सीमा पर जो प्रहरी हो,
देश-प्रेम अति गहरी हो।
अन्न प्रदाता जय किसान की-
न गति विकास की ठहरी हो।
साथ सभी के दुख-सुख अपना,
सुनना और सुनाना साथी ।
ऐसे दीप जलाना साथी,
तम को दूर भगाना साथी।1।

समरसता की फसल उगाओ,
ऊॅच-नीच का भेद मिटाओ।
शोषण-दमन करे न कोई,
सबको बढ़कर गले लगाओ।
नव विकास की बन मिसाल तुम,
सबका साथ निभाना साथी ।
ऐसे दीप जलाना साथी,
तम को दूर भगाना साथी ।2।

धन्य धरा की पावन माटी,
ऑचल सजे फूल की घाटी।
स्वस्थ,सुखी सम्पन्न रहें सब,
बनी रहे अविरल परिपाटी।
स्वच्छ धवल उर भाव भरे,
गीत विजय के गाना साथी ।
ऐसे दीप जलाना साथी,
तम को दूर भगाना साथी ।3।

क्रूर काल का फेरा होगा,
दुर्जन संग बसेरा होगा।
गहन तिमिर से मत घबराना,
आखिर सुखद सबेरा होगा।
जीत-हार हैं क्रम अनुयायी,
सबको गले लगाना साथी।
ऐसे दीप जलाना साथी,
तम को दूर भगाना साथी ।4।

अन्य पढ़े :

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *