अपना दर्द कहता हिंदुस्तान फिर रहा – पवन शर्मा परमार्थी

अपना दर्द कहता हिंदुस्तान फिर रहा – पवन शर्मा परमार्थी

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अपना दर्द कहता हिंदुस्तान फिर रहा


अपना दर्द कहता हिंदुस्तान फिर रहा।
बारूदी बम लेकर जवान फिर रहा।।

मानव की हत्या सरे-आम कर रहे,
जिन्दगी को ही जुल्मी गुलाम कर रहे,
पूर्वजों को निर्दयी बदनाम कर रहे,
गरीब के लहू से जो जाम भर रहे,
दर-ब-दर भटकता इंसान फिर रहा।
अपना दर्द कहता हिंदुस्तान फिर रहा।।

राजनीति के चक्कर में जो फँसे हुए,
कट्टरपंथी दलदल में धंसे हुए,
ईर्ष्या के रस्से में सब कसे हुए,
पूजाघरों में शैतां हैं बसे हुए,
जुल्म से डरता आज ईमान फिर रहा।
अपना दर्द कहता हिंदुस्तान फिर रहा।।

खण्ड-खण्ड देश करने पर तुले हुए,
शैतानी ताकतों से जो मिले हुए,
उग्रवादी झण्डे के वही तले हुए,
माँ भारती की गोद में जो पले हुए,
कि दूध को लजाता शैतान फिर रहा।
अपना दर्द कहता हिंदुस्तान फिर रहा।।

निर्दोषों पे चल रहीं हैं ज़ुल्मी गोलियां,
जल रहीं बारुद से हैं बस्ती खोलियां,
खेलते बेखौफ आज खूनी होलियां,
हत्या करते फिर रहे बनाके टोलियां,
ले संग में जुल्मी संविधान फिर रहा।
अपना दर्द कहता हिंदुस्तान फिर रहा।।

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पवन शर्मा परमार्थी
कवि-लेखक
दिल्ली, भारत।

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