Poetry collection cancer-डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
कैंसर
(Poetry collection cancer)
एक कैंसर है
नकारात्मक सोच
मस्तिष्क में यदि
घर बना ले किसी के यह
नहीं सोच सकता है
अच्छा कभी वह
शिकार हो जाता है
मानसिक विकलांगता का
भ्रष्ट हो जाती है बुद्धि उसकी
नहीं पार्थक्य कर पाता है
उचित और अनुचित में
विवेक और अविवेक में
सच और झूठ में
दूसरों की हंसती
ज़िंदगी के बगीचे में
अक्सर वह ईर्ष्या
और नफ़रत का
ज़हरीला कांटा बोता रहता है
मर जाती हैं उसके शरीर की कोशिकाएं
लाइलाज नहीं है यह रोग
अगर समय रहते
सत्संगति की कीमों मिल जाय
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874
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