Aye mere ghar-ऐ !मेरे घर/वेदिका  श्रीवास्तव

ऐ !मेरे घर

(Aye mere ghar)


साथ बचपन से तेरे रही हूँ सदा ,
मुझको प्यार ही प्यार तुझसे मिला ,
ऐ !मेरे घर पराया तू कैसे हुआ !?
ऐ !मेरे घर ……….
तेरे धरती पे खेली हूँ ,दौडी हूँ मैं ,
छुप के दीवारों में तेरी रोयी हूँ मैं ,
मुझको कितना कुछ है तुझसे मिला
ऐ !मेरे घर ………
कितने संघर्शों में तुम रहे मेरे साथ ,
तेरी इंटे समझती थी मेरे जजबात ,
हाय तुमने था मुझको संभाला हुआ
ऐ!मेरे घर ………
तूने सींचा मुझे तुने पाला मुझे ,
काटों से बचाकर के रखा मुझे ,
तेरे बगिया की फूल का अब तो निकलना हुआ
ऐ!मेरे घर ……….
रीत कैसी बनाई विधाता ने भी ,
जो भी संग थे उन्ही से परायी हुई ,
देखते देखते साथ अधूरा हुआ
ऐ !मेरे ………..
साथ मिलकर तेरे कितने सपने सजायी ,
ये करूँगी ,वो करूँगी वादे करती थी आयी ,
मेरे संग तू ही तो चलता रहा
ऐ !मेरे घर ……….

Aye! My house
वेदिका श्रीवास्तव

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