Baal kavita chhaatr kee vedana/सीताराम चौहान पथिक

छात्र की वेदना

(बाल कविता )

Baal kavita chhaatr kee vedana


बस्ते भारी हो गये ,
कोई तनिक उठाए ।
शिक्षा के अधिकारियों ,
कुछ तो करो उपाय ।

पीने को पानी नहीं ,
गरमी    बड़ी सताए ।
पानी बिजली के बिना ,
अब तो सहा ना जाए ।

कच्चा फर्श पट्टियां झीनी,
सीलन      है     चहुं पास ।
तुम्हीं     बताओ गुरु जी ,
कैसे         होंगे    पास ।।

ग्राम – नगर के स्कूल में ,
अन्तर       बढ़ता    जाए ।
बढ़ती     गहरी   खाई  को ,
कैसे       पाटा        जाए ।।

पूछ      रहा    हूं    गुरु   जी ,
विद्यालयो         में     भेद ॽ
पब्लिक    नामी    स्कूल    में ,
पब्लिक        से     ही     भेद ।।

क्यों    सरकारी    नीतियां ,
करती      भेद – विभेद ॽ
विद्यालयो   में    सब   पढ़ें ,
सूविधा    मिलें    अभेद ।।

गुरु कुल शिक्षा का चलन ,
करिए      जरा       विचार ।
विश्व    भारती     कर  रही ,
शिक्षा – नीति      विचार ।।

शिक्षा – पद्धति पश्चिमी ,
संस्कृति        बंटा  – धार ।
बेसिक    शिक्षा    पद्धति ,
सबका     बेड़ा      पार ।।

जीवन    के हर क्षेत्र में ,
फैला             भ्रष्टाचार ।
शिक्षा – कारण प्रमुख हैं ,
स्वदेशी    है     उपचार ।।

शिक्षा – नीति निर्धारकों ,
भारतीय     बन    जाओ ।
ब्रिटिश दासता मानसिक ,
पथिक – पिण्ड छुडाओ़ ।।


Baal- kavita-chhaatr- kee- vedana
सीताराम चौहान पथिक

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