Barish Poem in Hindi | वर्षा ऋतु पर कविता
Barish Poem in Hindi | वर्षा ऋतु पर कविता / सीताराम चौहान पथिक
वर्षा ऋतु
बाल साहित्य
बूंदे बरसीं छन- नन-छन ,
बादल बरसा घन-नन-घन ।
मेंढक ने ढोढी पिटवाई ,
सावधान , वर्षा ऋतु आई ।
स्वागत करने बच्चे भागे ,
पिंकी दौड़ा सब से आगे ।
लल्लू का उतरा पाजामा ,
कल्लू ने लल्लू को थामा ।
छाता लेकर पापा निकले ,
मोटू राम सड़क पर फिसले ।
दौड़ो राधा – चल अनुराधा ,
भैया हड़प जाएं ना आधा ।
इंद्र -धनुष सतरंगी छाया ,
पपिहा गीत सुनाने आया ।
अम्बर में रच रहा स्वयंवर ,
बाराती है सुन्दर नभ- चर ।
वर- माला हाथों में लेकर ,
वर्षा ने देखा सकुचा कर ।
आलीशान महल चौबारे ,
रंग सुनहरी कलश संवारे ।
वर्षा ने मुख मोड़ लिया ,
नाता मानों तोड़ लिया ।
हरी मखमली चादर पहने ,
खेतों ने पहने सुंदर गहने ।
उन्हें देख वर्षा मुसकाई ,
वर- माला उनको पहनाई ।
मेघों ने दुंदुभी बजाई ,
खेतों को मिल रही बधाई ।
उमड़ रहे बादल घनघोर ,
मोर मचाता वन में शोर ।
आओ बच्चो , हम भी गाएं ,
नाच – नाच कर मन बहलाएं।
सीताराम चौहान पथिक
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