Ghanaaksharee – घनाक्षरी / बाबा कल्पनेश

Ghanaaksharee – घनाक्षरी / बाबा कल्पनेश

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घनाक्षरी

तिमिर के रिपु अभी उदित हुए ही नहीं।
यहाँ-वहाँ-कहाँ गया तम जो घना रहा।।
आस-पास कूक कूक कोयल है कुहू करे।
खोजिए तो आप कहीं नीड़ है बना रहा।।
ध्यान मग्न वृक्ष सभी खग कुल गान करें।
चतुर किसान से तो युद्ध है ठना रहा।।
अभी ठाठ खाट में ही चैन भरी नींद लिए।
उन्हीं के दृगों में बैठ खुशियाँ मना रहा।।

दीन-हीन रिक्त हाथ सो रहे जो अश्व बेंच।
तिमिर उन्हीं के गेह गिरि सा तना रहा।।
कौन वीर टाल सके विधि का विधान बना।
अंधकार टालना तो लोहे का चना रहा।।
नींद प्रात काल किए तिमिर से साठ-गाँठ।
इन्हीं के ही चक्रव्यूह मृत सा सना रहा।।
सकल सफेदी गयी चावल से रिक्त हुआ।
कूड़े का ही ढेर बस हाथ में कना रहा।।

घनाक्षरी -२ 

आलसी के अंग-अंग डेरा नित रहा करे।
नीति या अनीति बात तिमिर न जानता।।
जहाँ मिले जो भी मिले मिले या कि नहीं मिले।
अंधकार अंध युक्ति अपनी ही ठानता।।
आलस में चतुर जे उन्हीं के हृदय रमा।
अपने निवास का वितान एक तानता।।
ईश्वर ने दान दिया ठाँव जो महान मुझे।
दीन-हीन निज को ही भला क्यों मानता।।

कहो तो दो-चार नाम पोर गिन गिनाऊँ मैं।
जहाँ बड़े आदर से ठाँव मुझे मिलता।।
सूर्य के उदय काल खाट पड़ा सोता रहे।
तिमिर प्रसन्न गात हर काल खिलता।।
पशु सभी जाग जाँय चिड़ियाँ चहक जाँय।
आँगन न जाग जाय गेह तभी हिलता।।
शिशु कंच खेल खुशी मुझको ठिकाना मिले।
जहाँ रहूँ उसी का ही अंग रहे छिलता।।

एक बात साँच कहूँ कभी भी लबार नहीं।
जहाँ रहूँ वहाँ कभी मान नहीं मिलता।।
क्लेश नाच-नाच रहे और कहाँ ठाँव मिले।
नित्य दुख रूप फल वहीं ही फला करे।।
उदय से अस्त काल अस्त से उदय तक।
नित्यमेव काल सभी अंधता छला करे।
अंग जो बटोर रहे कर्म से विहीन हुए।
समर्थ न उसे कभी ईश भी भला करे।।


यह रास्ता

मैं हूँ और मेरी लाश है
इधर
और उधर आँगन के पार
उस कमरे में मेरी बहू है
अपने नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ
और मेरा बेटा खड़ा है
उसी दरवाजे पर
रोना वर्जित है ऐसे समय में
जो चले गए या जो जाने वाले हैं
पंडित जन शोक नहीं करते।
हँसाई आ नहीं रही है
पर एकाएक
अपनी लाश को थपथपाता हुआ
खिलखिला कर हँस पड़ता हूँ
सोचता हूँ
अपनी लाश को यहीं छोड़ कर
चुपचाप कहीं चला जाऊँ
बच जाऊँगा अकेले ही
एक लाश ढोने से
और पास-पड़ोस,घर परिवार के
हाथ भी लग जाएगा
एक-एक टुकड़ा मांस
यह रास्ता सुगम और सरल है
उधर से क्षुधा भी झाँकती है।


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बाबा कल्पनेश
सारंगापुर-प्रयागराज

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